Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tej Pratap Narayan
Lives in New Delhi, India
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
आजादी
आजादी के इतने वर्षों बाद भी, आजादी को हम जूझ रहे आज भी ।। कभी नक्सलियों, आतंकियों से आजादी, कभी रिश्वतखोरों, भ्रष्टाचारियों से आजादी ।…
मौकापरस्त मोहरे
वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला…
आजादी
सुभाष,भगत,आजाद ने, दे दी हमे आजादी ! वीरो के कुर्बानी रंग लायी, वन कर देश की आजादी !! अंत हुआ अत्याचारो के अत्याचार, टूटा गरूर…
आज़ादी के मायने
क्या सोचके निकले थे, और कहाँ निकल गये हैं ७२ साल में आज़ादी के, मायने ही बदल गये हैं आज मारपीट, दहशत और बलात्कार आज़ादी…
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