कुछ लफ़्ज़ ठहरा रखे हैं कागज पर Mukul Gagrani 9 years ago कुछ लफ़्ज़ ठहरा रखे हैं कागज पर क्या पता कभी कोई कविता बन जायें कुछ दिनों को भी जोड रखा है शायद कहीं ये भी कभी जिंदगी बन जायें