Categories: शेर-ओ-शायरी

Panna
Panna.....Ek Khayal...Pathraya Sa!
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
गिले-शिकवे
गिले-शिकवे जरा कम कर दिये हमनें जब से वो दूजी गली जाने लगे वो हमसे दूर रहकर खुश रहेंगे इसलिए हम ये दुनिया छोड़ आज…
खता
लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…
वाह बहुत सुंदर
Nice
Good
Good
वाह वाह, अति सुंदर