गीत यूँ ही नहीं बना करते

गुलशन फिज़ाओ में यूं ही नहीं महकते हैं
इश्क की बूंदाबांदी से खिल उठते हैं
एहसास की रोशनी से महक उठते हैं
गीत यूंही नहीं बना करते
दिल के जख्मों को हरा करते हैं

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