चंद यादें
वो दिन थे ये भी दिन हैं वो बचपन था ये जवाँ उम्र ,
ता उम्र रहेगी याद हमें वो बचपन की प्यारी यादें,
नभ में बादल छा जाते ही हम बारिश की राह तका
करते थे ,
सतरंगी इन्द्रधनुष को देख देख अतरंगी स्वप्न बुना
करते थे ,
कागज की नावों में सवार हो भंवरों को पार किया
करते थे ,
वो नाँव नहीं वो स्वप्न मेरे जो पानी पर तैरा करते थे ,
बचपन की सारी यादों को जवाँ उम्र जज्बातों को कागज की नाँव समेटे हैं
वो वक्त कहाँ है छूट गया लगता है मुझसे वो रूठ गया ,
आज फिर मैं उसे बुलाऊँगा सपनों के दीप जलाऊँगा,
पर उन गलियों और चौबारों को मैं कहाँ ढ़ूढ़ फिर पाऊँगा
उन जिगरी बिछड़े यारों को मैं कहाँ ढ़ूढ़ फिर पाऊँगा ,
घनघोर घटा फिर छा जाये यादों की बारिश हो जायें ,
सब यादों को मैं समेट लूँ जज्बातों को भी सहेज लूँ ,
बस एक बार फिर बादल हो बस एक बार फिर बारिश हो,
बस एक बार फिर नाव वहीं हो ख्वाबों को ले संग साथ बही जो,
beautiful poetry
thank you
nyc
THANK YOU
congrats man!
thanks
behtareen lines buddy…….congratulations !! 🙂
Thank you bhaiya
बहुत सुंदर