चल गए जीवन चरखे
बादिया सी जिंदगी में
आप बादल बन के बरसे,
खूब हरियाली सजा दी
जिंदगी के रोम हरषे।
ख्वाब में सोचा न था
आपको पाएंगे हम
आपके आने से सचमुच
चल गए जीवन चरखे।
शब्दार्थ –
बादिया – उजाड़ सी
बादिया सी जिंदगी में
आप बादल बन के बरसे,
खूब हरियाली सजा दी
जिंदगी के रोम हरषे।
ख्वाब में सोचा न था
आपको पाएंगे हम
आपके आने से सचमुच
चल गए जीवन चरखे।
शब्दार्थ –
बादिया – उजाड़ सी
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थोड़ा टाइपिंग मिस्टेक हुई है शीर्षक है
चल गए जीवन के चरखे
बादिया सी जिंदगी में
आप बादल बन के बरसे,
खूब हरियाली सजा दी
जिंदगी के रोम हरषे।
ख्वाब में सोचा न था
आपको पाएंगे हम
आपके आने से सचमुच
चल गए जीवन के चरखे।
शब्दार्थ –
बादिया – उजाड़ सी
बहुत ही जबरदस्त लिख रहे हैं, आजकल आप, वाह
थैंक्स जी
Nice lines
Thank you ji
बहुत ही सुन्दर
सादर धन्यवाद जी
Nice one
Thanks
Very nice lines
Thank you ji
बहुत ही सुन्दर अलफाजो में सजाया है आपने ।बहुतही सुन्दर
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद सुमन जी
वाह सर, बहुत सुंदर काव्य रचना है। उपमा अलंकार का बहुत ही खूबसूरती से प्रयोग किया है सतीश जी।
“बादिया सी ज़िन्दगी में आप बादल बन के बरसे”…वाह
आपके द्वारा की गई उत्साहवर्धन समीक्षा से लेखनी को बल प्राप्त हुआ है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी।
अतिसुंदर भाव
सादर सादर धन्यवाद जी