चाहती हूँ मैं

दौङना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो राहें दोगे?

दुनिया को देखना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो नज़रें दोगे?

अपने दिन और रातों को रंगना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो रंग दोगे?

खिलखिलाकर हंसना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो खुशियाँ दोगे?

आसमान को छूना चाहती हूँ मैं ,
क्या मुझे वो पंख दोगे?

पढ़ना और लिखना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे ज्ञान का वो वरदान दोगे?

अपना नसीब को खूद लिखना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो कलम दे दोगे?

अपने मन की करना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो ख्वाहिशें पूरी करने दोगे?

सपने भी देखना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो सपने देखने दोगे?

अपने लिए कुछ करना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे कुछ करने दोगे?

हर किरदार से परे,ख़ुद बनना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे ‘मै’ बनने दोगे?

खूबसूरत सी इस ज़िन्दगी को जीना चाहती हूँ मैं,
क्या मुझे वो सांसें दोगे?

अपने तन और मन की आज़ादी चाहती हूँ मैं,
क्या मझे इन बंधनों से कभी मुक्त कर दोगे?

अपने जवाब खुद ढूढ़ना चाहती हूँ मैं,
बताओ,कब मुझे इन प्रश्नों को पूछने से छुटकारा दोगे?

-मधुमिता

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

+

New Report

Close