छलक जाए दिल से तो मोहब्बत
वो मिला ले नज़र तो इनायत,
वो फेर ले नज़र तो शिकायत ।
वो पत्थर की सही पर,
करता मैं उसकी इबादत ।
चखता वो मेरे दिल को देकर अपनी उल्फ़त,
बढ़ता है नशा उतना जितनी बढ़ती है कुर्बत ।
दर्द वो जो भर दे दिल को,
ग़र छलक जाए दिल से तो मोहब्बत ।
Umda rachna!