छु न सके हथियार
छु न सके हथियार जिसे, उसे वो नजरो से घायल करते रहे,,
हम भी बने हिम्मती इतने,, वो वार करते रहे, हम हलाल होते रहे!!
कल तक मिल्कियत की जिसकी मिसाले देता था जमाना,
उसे ही वो होठों के जाम पिलाते रहे,, हम भी शौक से पीते रहे!!
कुछ तो बात हैं कान्हा, जो सितारे उसे चंदा समझ लेते हैं अक्सर,,
काश!! वो भी मेरी ख़ामोशी समझ पाए और हम भी उन्हें देखते रहे!!
Nice one friend
Shukriya dost
kuch kaha nahi usne kabhi
or me bahut kuch sunta raha… 🙂
Kya baat hain sumit bhai,,,, Shandaar …
bahut achi kavita ankit bhai
Shukriya dost
एक पर एक शानदार …..पेशकश
वाह बहुत सुंदर रचना
Good
वाह
उसे ही वो होठों के जाम पिलाते रहे,, हम भी शौक से पीते रहे!!
वाह क्या बात है लाजबाब