जगह अपनी बनानी पड़ती हैं
इस जीवन नाटक में,
जगह अपनी बनानी पड़ती है,
अस्तित्व अपनी मनवानी पड़ती है,
कितना हीं गुणवान हो कोई,
लोगों की नजर में हुनर अपनी,
आजमावानी पड़ती है,
गहने बनने को जैसे,
सोने को तपना पड़ता है,
तारे को अस्तित्व मनवाने को,
चमकना पड़ता है,
कोरे सच्चे होने का,
दिल के अच्छे होने का मूल्य नहीं है,
नाटक में जगह पाने को,
अपनी कला दिखानी पड़ती है,
जीवन जीने की होड़ में,
खुद की बोली लगानी पड़ती है,
नाटक में अपनी जगह बनानी पड़ती है ।।
ritusoni70ritusoni70@wordpress.com
nice
Thanks Seema ji
Anupam
Thanks Anirudh ji
Great