जाम

सब कुछ सहना है मगर तुम्हें अपना नाम नहीं लेना है,
आदमी तभी हो तुम जब तुम्हें कोई ईनाम नहीं लेना है,

रखना है रोककर तुम्हें अपने आँखों के आसुओं को बेशक,
अपनी मेहनत का मगर कभी तुम्हें कोई दाम नहीं लेना है,

जोड़कर हाथों को हर मुराद पूरी ही करनी होगी,
सुन लो मगर तुम्हें अपनी ज़ुबाँ से कोई काम नहीं लेना है,

रहना है रिश्तों के हर बन्धन में बंधकर ही ‘राही’ तुमको,
सब छोड़ो मगर होटों पर अब तुम्हें कोई जाम नहीं लेना है।।

राही अंजाना

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close