ठान लूँ गर
ठान लूँ गर मैं तो कुछ भी कर सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो असंभव भी संभव कर सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो बुलंदियाँ छू सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो बिन पंख भी उड़ सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो हर हार ,जीत में परिवर्तित कर सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो चीते से तेज़ दौड़ सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो भारत की शान बन सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो आतंकियों को मार सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो स्वर्ण भी ला सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो दुनिया भी चल सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो तिरंगा आसमाँ में भी लहरा सकती हूँ
ठान लूँ गर मैं तो सब कुछ हासिल कर सकती हूँ।।
देश की नारी को समर्पित🙏
वाह
Superb
वाह
सुंदर रचना
Nice