साँवला सलोना
साँवला सलोना चला, माखन चुराने को। मैया ने देख लिया, रंगे हाथ गिरधारी को। कान पकड़ के मैया, कहती हैं नंद से। क्यों चुराए है तू?, माखन यूँ मटकी से। इतने में बोलते हैं, कन्हैया यूँ मैया से.. मैंने न चुराया माखन, पूछ लो तुम ग्वालों से। मैया कहती हैं मैंने, तुझको ही देखा है। माखन की मटकी से, माखन चुराते हुए। बोल कन्हैया मेरा, क्यों तू ये करता है? क्या मैं न देती तुझे?, जी भर खाने के लिए। छुप – छुप... »