तुझसे रुबरु हो लूं मेरे दिल की आरजू है
तुझसे रुबरु हो लूं मेरे दिल की आरजू है
तुझसे एक बार मैं कह दू, तू मेरी जुस्तजु है
भॅवरा बनकर भटकता रहा महोब्बत ए मधुवन में
चमन में चारो तरफ फैली जो तेरी खुशबु है
जल जाता है परवाना होकर पागल
जानता है जिंदगी दो पल की गुफ्तगु है
दर्द–ए–दिल–ए–दास्ता कैसे कहे तुझसे
नहीं खबर मुझे कहां मैं और कहां तू है
शायर- ए- ग़म तो मैं नहीं हूं मगर
मेरे दिल से निकली हर गज़ल में बस तू है
सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
Good
सुन्दर
Bahut khoob