तुम जो आओ ख्वाब में तो राब्ता रह जाएगा
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तुम जो आओ ख्वाब में तो राब्ता रह जाएगा
इक दिया उम्मीद का दिल में जला रह जाएगा
पूछ लो तुम हाल मेरा बस दिखावे के लिए
के भरम दिल में मुहब्बत का ज़रा रह जाएगा
दूर होकर ज़िंदगी भी है पशेमाँ सी मेरी
तेरे बिन ज्यूँ रूह से पैकर जुदा रह जाएगा
हम गुज़र जाएंगे इक दिन इस जहां ए फानी से
छूट जाएगा यहीं सब तज़किरा रह जाएगा
उम्र के हाथों बदल जाएंगे सबके चेहरे भी
वह पुराना अक्स फिर तू ढूँढता रह जाएगा
वार दिल पर इस जुबां का देखो होता है बुरा
ज़ख्म तो भर जाएगा पर आबला रह जाएगा
आँधियों की ज़द में हैं कुछ टिमटिमाते से दिये
जिस दिये में जान होगी वह दिया रह जाएगा
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Sundar Ghazal.. 🙂
Nice
वाह बहुत सुंदर