तुम ही
अंधियारे को उघाङती हुई,
रोशनी सी बिखेरती हुई,
वो छुपी सी इक काया,
मुस्कुराती हुई ,तुम ही हो ना?
शांत सी हवा में मानों,पायल की छमछम,
हल्के से कानों में बजती,साँसों की सरगम,
वो वीणा की झंकार सी लगती,
मौसीक़ी की सुर ताल में रंगी,तुम ही हो ना?
बारिश की बूंदों में जलतरंग सी बजती,
फिर इंद्रधनुष सी सजती,
सातों रंगों में,सब रंगने वाली,
रंगीन सी अदाओं में,तुम ही हो ना?
फूलों का मख़मली स्वरूप,
चंदा का वो शीतल सा रूप,
नर्म,नाज़ुक सी कच्ची कली,
फूल बनने को बेसब्र, तुम ही हो ना?
रातों को सितारों भरा आंचल फहराये,
अंधेरे में एक चिराग जलाये,
गर्म अहसासों को सुलगाये,
मुझे ख़ुद में समटने को तैयार,तुम ही हो ना?
गर्मी की रातों बोझिल रातों में,सर्द हवा का झोंका,
आतुर होती मेरी धङकनों को,प्यार से जिसने टोका,
उनींदी सी आँखों में ढेरों सपने सजाये,
अपने आँचल में हर जज़्बात को टांके,तुम ही हो ना?
सरदी की भरी दुपहरी,
उसपर एक किरण सुनहरी,
माहौल को गरमाते हुये,
सूरज की स्वर्णिम रश्मि सी,तुम ही हो ना?
तुम्हारे होने का यहीं आसपास कहीं,
मेरे दिल की हर धङकन देता है गवाही,
तुम्हारी हर साँस की आवाज़,
मेरे वीरान सी ज़िन्दगी का साज़,हो तुम ही।
अहसास है मुझे प्यार का तुम्हारे,
चाहूँ मैं तुम्हें बस पास मेरे,
हर घङी,हर पल मिलकर जियें,
मेरे दिल की हर धङकन, हो तुम ही।
अब सच बताओ ,छुपकर मुझे देखने वाली, तुम ही हो ना?
बेपनाह मुझसे मुहब्बत करने वाली, तुम ही हो ना ?
मेरी बेरंग सी ज़िन्दगी में ढेरों रंग भरने वाली,तुम ही हो ना?
सोंधी-सोंधी बारिश की फ़ुहार, तुम ही हो ना?
लब तुम्हारे बोलें ना बोलें,
नज़रों ने तुम्हारी, हर राज़ खोले,
कर गयीं वो बयां खुद ही,
मेरी जान वो हो तुम ही,मेरी जान तुम ही!!
-मधुमिता
very nice poem 🙂
शुक्रिया अनिरुध्द
bahut achi kavita 🙂
शुक्रिया अजय नवल
Umda!!
शुक्रिया पन्ना
sundar kavya…
धन्यवाद श्रीधर
Good One!
शुक्रिया