तेरी कहानी का तू सिकंदर है।।
जब चारों ओर कीचड़ दिखा, असमंजस तेरे अंदर है।
नादान बला, आईना वो नहीं, तेरी रूह तो कमल सी सुंदर है।।
दिखा हर तरफ एक धुआँ तुझे, कहीं आग लगी भयंकर है।
जग छान लिया, कुछ मिला नहीं, मुई आग वो तेरे अंदर है।।
मत बुझा उसे, वो भड़कने दे, जैसे आग का समुन्दर है।
अपनी ज़िन्दगी बेफिक्र तू लिख, तेरी कहानी का तू सिकंदर है।।
गर हुआ सामना क़ातिल से, और पड़ते दिल पे खंजर हैं।
कोई रोक सके तो रोके ज़रा, तू भी क्या कम बवंडर है !!
words and thoughts both are great..awesome poetry
Thank you so much Sharmaji for such a nice appreciation. 🙂
bahut hi umda kavita
Thank you. A person already possesses the power to achieve what he wants, he just needs to believe that he can. 🙂
करिश्मायी लफ़्ज.. अद्भूत रचना
धन्यवाद । 🙂
जब नहीं कोई हथियार, कलम को तू ढाल बना
कर तू क्रांति, निकाल उसे जो आग तेरे अंदर है
वाह ! बढ़िया । 🙂
thanks
kya kamaal ki kavita he…wah!
Ji shukriyaa..! 🙂
Really awesome 🙂 You rocked the words and world 😀
Haha.. Thank you so much.. 🙂
गर हुआ सामना क़ातिल से, और पड़ते दिल पे खंजर हैं।
कोई रोक सके तो रोके ज़रा, तू भी क्या कम बवंडर है
Waah waah