तक़दीर

तक़दीर ऐ जुल्म
नहीं है हमको इल्म

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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अदा-ऐ-इश्क़

बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है, मोहोब्बत है उसको हमसे हम जानते…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

खता

लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…

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