दिल की बात

मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैने की क्यूं दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हलात समझता हूँ…!

Related Articles

मैं

मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ, मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ, कब पूछा मैने की क्यूं दूर हो मुझसे, मैं दिल…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close