Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
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वाह ,सुशांत राजपूत की हृदय व्यथा का भावुक चित्रण और उनके लिए एक श्रद्धांजलि
nice
सुन्दर
अतिसुंदर प्रस्तुति
विभिन्न भाषाओं का सुंदर प्रयोग करती हुई तथा सुशांत सिंह राजपूत जैसे युवा कलाकार पर बहुत ही सुंदर रचना लिखी है हिमांशु जी आपने धन्यवाद
Nice