आज़ादी
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- दृढ़ निश्चय लेके निकले मुसीबत को निकाला जड़ से उखाड़ ये देश भक्त हुए दुनिया में विख्यात जब लहू से…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- दृढ़ निश्चय लेके निकले मुसीबत को निकाला जड़ से उखाड़ ये देश भक्त हुए दुनिया में विख्यात जब लहू से…
छूप छूप के खाये माखन है ये माखन चोर बड़ा नटखट है प्यारा नंद किशोर घुसे घर में मित्रो के संग देखी माखन की मटकी…
ना गम है ना दर्द है जो बिताया दोस्तों के साथ वो ही सुनहरा वक्त है ना है कोई खून का रिश्ता फिर भी निभाते…
तुम्हारे जाने से रो पड़ा जगत सारा आओ देखे दिल बेचारा हर मूवी की तरह इस मूवी से भी जीत लिया तुमने दिल हमारा आओ…
ना रुकेगा ये वक्त ना जमाना बदलेगा सुख जायगा जब पेड़ तो ये परिंदा ठिकाना बदलेगा – हिमांशु ओझा
इज़्ज़त कमाने निकला था गुरुर कमा आया पैसे कमाने के चकर में तबियत बिगड़ आया – हिमांशु ओझा
दिल में लगा एक घाव हो गया हर प्रश्न का जवाब हो गया हमे पता ना चला शायद हमे भी उनसे लगाव हो गया !…
अब उठ नौजवान तुझे कुछ करना है जगमगाते दीप से सूरज की तरह चमकना है दिल जो कहे वो करना है ज़िंदा मछली की तरह…
अपने सुख दुःख की पोटली को रख किनारे में हमारे सुख दुःख को अपना जीवन बनाया पिताजी ने ही हमे सब कुछ सिखाया कल तक…
जिनके नाम से दुश्मन थर थर कांपा करते है बलिदान हुए वीर जवानो को हम सब नमन करते है ये सच्चे देश भक्त है ऐसे…
जिनके नाम से दुश्मन थर थर कांपा करते है बलिदान हुए वीर जवानो को हम सब नमन करते है ये सच्चे देश भक्त है ऐसे…
पथ पथ ख़ुशी की खोज में भटकता रहता हूँ उसके नूर के लिए तरसता रहता हूँ वो है हमसे खफा उस से मिलने के लिए…
दो गज के फंदे से खुदको क्यों मार गए इस बेरहम दुनिया ने अब क्या किया जो खुद से ही हार गए चंद शब्द कहता…
वो इंसान अपने हर काम में फंसता है जो दुसरो के दुःख पे हँसता है !
भूतकाल के डर को वर्तमान में ख़तम कर भविष्य आगे भड़ाना है तुझे कुछ कर दिखाना है तुझे कुछ कर दिखाना है दुनिया के जाल…
ऐ ज़िन्दगी मैंने तुझको दिया क्या है तेरे लिए किया क्या है तूने मेरे गम पे खुशियों के वस्त्र ढक दिए तेरे लिए मैंने सिया…
कोई किसी के सुख में सुखी ना होये ना होये किसी के दुःख में दुखी बदल रहे नकाब बस कुछ मतलबी
हमारा कसूर क्या था आखिर क्यों मजदुर हुए हम दर दर भटकने पर मजबूर हुए हम इस महामारी से तकरार है रोजी रोटी की दरकार…
एक दिन रस्ते पर मिले दो नौजवान मैंने पूछा दोनो से क्या है आपका शुभ नाम पहला बोला मेरा नाम है सच सब सोचते मैं…
हर बीमारी का हल दवा नहीं होती हर छोटी चीज़ रवा नहीं होती भुज जाते है दीये कभी तेल की कमी से हर बार कुसूरवार…
आज मेरी हैसियत तुमने दिखा दी तुम्हारी नज़रो में मेरी कीमत तुमने दिखा दी कल तक तो पूछती थी खैरियत आज मेरी बुरी किस्मत तुमने…
मेरे दिल की आन हो तुम मेरे मन की शान हो तुम थोड़ी नादान हो पर मेरी जान हो तुम मुस्कुराओ तो फूल खिल जाये…
सब रंगो का मेल होते है दुःख सुख में साथ होते है बुरे हो या अच्छे रिश्ते तो रिश्ते होते है रिश्तो के भी कई…
तेरे नैनो में यु समाता हूँ बंद आंखे तो क्या खुली आँखों में भी दिख जाता हूँ तेरी अनहोनी को होनी कर मैं सपना कहलाता…
इंसान ही इंसानियत भूल जाते है जिसको मानते है भगवान उसको ही मार आते है ये सिर्फ भगवन को जानते है पर उनकी कहा मानते…
वक्त वक्त देख वक्त का पता ना चलिया है जब चले पता तब तक वक्त निकलया है सोच सोच के राह का पता न चलिया…
मत कहो की वक्त नहीं कही वक्त न कह दे हम तो है पर तुम नहीं – हिमांशु ओझा
खुदा ने सुनी मेरी जो आपको यहाँ पंहुचा गए हमे तो खबर ना हुई आप कब हमारे दिल में आ गए गहरे समुन्दर में प्यार…
ये धरती पे अंधकार है छाया देख सूरज नया सवेरा है लाया तेरी ज़िन्दगी में नया अवसर है आया जो करे कोशिश अवसर उसने ही…
आज मेरा जन्मदिन है आप लोगो ने मुझे बहुत कुछ सिखाया उसके लिए धन्यवाद्
सुने घर में फिर बाजी किलकारी आंगन में पायल छनकारी टुकुर टुकुर देख आ रही छोटी बहन प्यारी सामने उसको पाए सारे दुःख दूर हो…
अनजान सी रुक्मणि बेचैन सी मीरा राधा ही जाने श्याम की पीड़ा हिमांशु के कलम की जुबानी
ना था रस्ते का पता ना थी मंज़िल की चाहत थके ज़िन्दगी से गुरु के चरणों में मिली राहत माता पिता ने चलना सिखाया मिला…
कभी बुलाये प्यार से कभी बुलाये मजाक से ज़िन्दगी की हर घडी ये साथ देती है दोस्ती होती ही ऐसी है दिल होवे गम में…
कथा सुनाऊ पुरुषोत्तम श्री राम की विष्णु रूपी अयोध्या पति नाथ की त्रेता युग में जनम हुआ राजा दशरथ के महल में अयोध्या हुआ पूरा…
चंद लम्हो की ज़िन्दगी में अब और क्या- क्या होना है ब्रष्टाचार क्या कम था जो आगया कोरोना है गरीब खा रहे मांगके और अमीरो…
बैठे थे गुमसुम से एक टक निहार के दादी आयी बोली फिर भुआ आ रही है ससुराल से ये सुनके खुश हुए की भुआ हमारी…
आंगन में बैठी एक टक निहार लेती है चलती धीरे पर काम तेजी से कर लेती है पढ़ना कम आता है पर दुनिया का पाठ…
चल अब उठ भी जा ना अभी कुछ काम नहीं फिर भी क्यों तू थकता है मुश्किलों को देख के इतना क्यों डरता है सिख…
आज भी वो दिल तुम्हारी और जाता है जो तुमने तोड़ दिया था आज भी तुम्हारे गुण गाता है जिसका मुँह चुप कर दिया था…
दिल में जगह की कमी नहीं होती यह तो खुला आसमान है खूब पंख फैलाओ यहाँ बाटने वाली जमीन नहीं होती
आओ इस कल्पना की दुनिया में खो जाये हम सब एक हो जाये ये जात पात सब मिट जाये आओ सब अपने दुःख सुख में…
मेरे दिल से आज एक आवाज आयी बोलै बहार मत जाना मेरे भाई वरना पुलिस करेगी पिटाई पुलिस और डॉक्टर कर रहे है कोरोना से…
धीरे से मेरे पास आ जाता है कोई मेरे दिल को लुभा जाता है कोई मेरे कान में मीठे स्वर बोल परछाई बन जाता है…
Happy mothers day हर सफलता के पीछे माँ का सहारा है दोस्तों डूबती नैया पार लगदे वो किनारा है दोस्तों माँ के आशीर्वाद से जीवन…
Kuch baat to hai tum me jo mujhe tumhari or le jaati hai Tumhari rooh ko meri rooh se har waqt milati hai Yaad me…
Samundar kehta hai nadi se zara mujhme mil jayeye Aaram se bathiye zara apna haal to bataeye Wo bole haal to bata denge zara ek…
Shayri – Kiske khwaabo me raat bhar jag rahe ho Kya baat hai aaj bade khush lag rahe ho POEM Suneye zara meri kavita shuru…
Desh Sankat Ye desh me kaisa sankat hai aa gaya Kuch ko kar raha bimar or kuch ko maut ki nind sula gaya Ye sadko…
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