Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अंत ही आरंभ है
बड़ रहा अधर्म है, बड़ रहे कुकर्म हैं। इनके जवाब में आज वो उठ खड़ी।। तोड़ कर सब बेड़ियाँ, हुंकार है भरी। अपने स्वाभिमान के…
सृजन
सृजन के साथ विनाश जुड़ा है विनाश के साथ सृजन सुख दुःख का संगम है मानव का यह जीवन मरण के साथ जनम है जनम…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
Bhut khoob
Thanks