Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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जिस्म और रूह की कश्मकश में रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी रूह मेरी पिरो कर मेरे ज़ज़्बातो को खुदमें बन गले का…
हमारी रूह पर क़ब्ज़ा जमाने आ गई फिर से।
हमारी रूह पर क़ब्ज़ा जमाने आ गई फिर से। ये लड़की प्यार में पागल बनाने आ गई फिर से।। , हमारे कब्र का रसता किसी…
तुम्हारा इन्तज़ार है
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तेरा मेरा रिश्ता यूई की आंखों से बहते आँसुओं को रूह की नजर से देख यह आँखें मेरी हैं पर आँसू तेरे हैं इन आंसुओं…
तेरा इशक
मेरा इशक तेरे मन में सिमटा हुआ परिंदा तेरा इशक मेरे मन को अपने संग ऊङाता हुआ परिंदा मेरा इशक तेरे आँचल में सिमटी…
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