Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ऐसा क्यों है
चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…
कुछ बीते पलों की बात थी
कुछ बीते पलों की बात थी उनसे हुई पहली मुलाकात थी रुक तो गया था वह शमां क्योंकि झुकी हुई पलकों की वो पहली शुरुआत…
खता
लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…
Behatreen ji
Nice
बेहतरीन कवित पूनम जी