पंछी

ख्वाइशों का पंछी गगन में उड़ता रहता है,

बैठता एक पल नहीं धरती से उठा रहता है,

आंसुओं का बहना कम नहीं होता एक पल,

इंसा का सर बस रब के आगे झुका रहता है।।

राही (अंजाना)

Related Articles

Ehasaas

काश कि हर इंसा को होता, किसी की भूख का एहसास काश कि हर इंसा को होता, अपमान की तकलीफ़ का एहसास काश कि हर…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

ये ख्वाइशें

रेत के महलों की तरह ,हरदम ढहती है ये ख्वाइशें फिर भी हर पल क्यों सजती सवरती है ये ख्वाइशें उम्मीदे इन्ही ज़िंदा रखती सांसों…

Responses

+

New Report

Close