पैरों से कभी चल न सका वो हाथों से बढ़ रहा है अपनी मंजिल की ओर
1.
टूट चुका हू फिर भी मिटा नही हू |
सूख चुका फिर भी गिरा नही हू |
करुगा एक दिन साकार अपना सपना |
ये सोच कर राह से भट्का नही हू |
2.
Manjil Insaan Ke Hausle Ajmati Hai..
Sapnon Ke Parde Ankhon Se Hatati Hai
Kisi Bhi Baat Se Himmat Na Harna…
Thokar he Insaan Ko Chalna Sikhati Hai..
Note: True Story
वाह
sanvedana ko salam
Marmik Kavita