Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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सच का समन्दर
सच के समन्दर में झूठ की कश्तियाँ डूबती नज़र आती हैं, जहाँ तलक नज़र जाती है बस सच की कश्तियाँ नज़र आती हैं, बढ़ते झूठ…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
2020—–21
आती जाती हैं ये लहरें, सिर्फ निशां छोड़ जाती है रेत के ऊपर हर पल नयी, कहानी ये लिख जाती है टकराकर किनारों से, हर…
जब भी वो आ जाती है
जिंदगी में उम्मीदें जैसे दोबारा आ जाती है इस कदर से खुमारी उसकी मुझपे छा जाती है। यारो तुम्हें पता है ऐसा कब होता…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
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