बेजान कर गया वो
जाना ही था उसको,चला ही गया वो,
जाते-जाते बेजान कर गया वो।।
जाने वाले को रोक पाया है कहाँ कोई
होता है वही जो, नसीब में सबके होई
जिन्दा हैं पर जान ले गया वो
जाते- जाते बेजान कर गया वो ।।
सबके जीवन में जोखिम भरा पङा है
कहाँ कब कोई, यहाँ सब दिन रहा है
फिर भी देखो हैरान कर गया वो
जाते-जाते बेजान कर गया वो ।।
वो कौन है धरा पे इतना नसीब वाला,
गमों से जिसका, कभी पङा नहीं हो पाला
बोध है पर, नादान कर गया वो
जाते-जाते बेजान कर गया वो ।।
थोड़ा सा मन मेरे, धीर अब तो धर ले
बङे धीर-वीर भी, यहाँ से गये अकेले
समझाये खुद को कैसे, अधीर कर गया वो
जाते-जाते बेजान कर गया वो ।।
सुंदर
सुन्दर अभिव्यक्ति
Very nice lines
वाह बहुत ही संजीदा गजल बेजान कर गया वो