“मजबूरियाँ” #2Liner-107 Ankit Bhadouria 8 years ago ღღ__मजबूरियों का आलम कुछ ऐसा भी होता है “साहब”; . मुसाफिर हूँ फिर भी, अपनी मंजिलें छोड़ आया हूँ!!….#अक्स