मदहोश हम
मदहोशी में जीवन कारवाँ,
चला जा रहा है,
लड़खड़ाते कदम,ठिठक जाते कदम,
दिशाहीन मन,बिना पंख,
उड़े जा रहे हैं,
ख्वाबो के अधीन हम,
हैरान हैं, परेशान हैं ,
मन्तव्य क्या, मन्तव्य क्या,
बस यूँ हीं बढ़े जा रहे हैं,
कौन हैं, क्या हैं,
हम कौन,तुम क्या,
मदहोशी के आलम में,
समय में घुले जा रहे हैं,
रफ्ता-रफ्ता धुआँ बन,
उड़े जा रहे हैं,
खुश हैं कि हम तो,
जीए जा रहे हैं,
जिंदगी से हम ठगे जा रहे हैं,
बेहोश हैं क्या पता,
हम दलदल में फँसे जा रहे हैं,
बिखराव है, फैलाव है,
जीवन को समेटे कैसे,
जब तृण-तृण कर ,
फना हो रहें हैं,
प्रकृति में रवाँ हो रहें हैं,
बेखबर हैं जगे हैं या,
ख्वाबो में जीए जा रहे हैं,
मदहोशी में जीवन के ,
हर रंग पिए जा रहे हैं,
हम तो जीए जा रहे हैं ।।
https://ritusoni70ritusoni70.wordpress.com/2016/08/24
बहुत ख़ूब
behtareen ji
Thanks Niranjan ji
Thanks Panna ji
Good
Thanks a lot