Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
आनंद नाद
खुश रहना हंसना तुम सीखो। दुखों से भी लड़ना तुम सीखो । तूफानों को झेलना सीखो। चट्टानों सा बनकर देखो । आकाश में उड़ते पंछी…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
हर बात ही हो लफ़जों से बयाँ जरूरी तो नहीं
हर बात ही हो लफ्जों से बयाँ ये जरूरी तो नहीं ‘हुज़ूर’, दिल ए नादाँ की कुछ सदायें तुम भी तो सुनना सीखो, हर नज्म़…
Kya likha hai
Thanks
Sundar
Thanks
बहुत बहुत आभार आपका