Categories: शेर-ओ-शायरी

Abhishek Tripathi
Hi everyone. This is Abhishek from Varanasi.
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मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
चेतावनी धरती की
हे अज्ञानी मानव, सुन ले मेरी पुकार, तेरी हूँ मैं पालनहार, फिर भी तू कड़े है वार l तुमको शुद्ध आहार दिया, मुझको प्लास्टिक की…
kabhi kabhi khuda aashqi ke saath askq be de deta he
bilkul sahi kaha sir aapne.. wo to sath me jarur milta hai..
Wah
Nice