मुक्तक 35
समंदर तेज हो, तीखी हवा हो, पतवार छोटी हो, अगर तुम साथ हो मेरे , परवाह कौन करता है . …atr
समंदर तेज हो, तीखी हवा हो, पतवार छोटी हो, अगर तुम साथ हो मेरे , परवाह कौन करता है . …atr
मोहब्बत में जो मैंने की मोहब्बत से बहुत बातें , लबों पर रख के वो बोले बहुत बोला नहीं करते . …atr
मोहब्बत में चराग़ों से उजाले हुआ नहीं करते , दिलों में आग लगती है,जहाँ रंगीन दिखता है . …atr
बड़ी बेदर्द सी रातें है काफ़ी सुन के सोता हूँ, जहाँ तुम याद आती हो , वहीं चुपके से रोता हूँ| ये रोने और सोने…
तुम्हारे अक्स से दुनिया है रोशन , सुना है चाँद की तू चांदनी है . सलीका प्रेम में अब क्या करेगा , नज़र को अब…
तुम्हारी चाह ही मंज़िल हमारी ए मेरे साकी,ज़रा अब तो पिला दे न , तमन्ना अब भी है बाक़ी.मेरे साकी तेरे आँखों की मदिरा क्या…
आज गलियां कुछ सूनी सी है , पथिक कम जाते हैं. गलियों के नुक्कड़ पर बैठा मैं कुछ सोचता हूँ . पर क्या क्या जीवन…
छुपा है चाँद बदली में ,अमावस आ गयी है क्या?नहीं देखा कभी जिसको वही शर्मा गयी है क्या?मिलन की रात में ये घुप्प अँधेरा क्यों…
here is some para frm my long work describing the truth “death”.. hope u all ll like .. वेदो की वाणी भूल गयी ,ममता माया …
expecting ur reviews and kind attention with ur graceful words .. जब धरा उठ कर बने आकाश तो अच्छा लगे , जब मही की तृप्ति…
चुप रहता हूँ आजकल , कम बोलने लगा . देख लिया दुनिया को मैंने , जान लिया सच्चाई को . अब दिल बरबस रो पड़ता…
Sometimes when there is evening , Come into my heart . you bother me sometimes, somtimes you make me cry . Your name in…
क़भी जब गिर के सम्भ्लोंगे तो मेरी याद आएगी , कभी जब फिर से बहकोगे तो मेरी याद आएगी। वो गलियां , वो बगीचे ,वो…
हवाओं की नज़र से देखता हूँ मीर मैं तुझको , कि छूकर पास से निकलूं और तुझको खबर न हो . ये दिल पत्तों सा…
दिल के आइने में मीर तेरा अक्श देखूंगा , कभी सोचा नहीं था तुमपे इतना प्यार आएगा . …atr
तेरे जाने से सब ये सोचते है मैं अकेला हूँ , उन्हें शायद खबर न हो कि तेरी याद बाक़ी है . मैं तनहा कैसे…
नैनो के सूखे मेघो से मैं आज अगर बरसात करूँ ,हल करुँ ज़मीन ए दिल में मैं नीर कहाँ से मगर भरूँ?है सूख चुका अब…
जवां दिल था , जवां धड़कन , जवां सांसे , जवां मन था , मगर बस मीर इतना था, जहाँ वो थी वहां मन था…
कहीं आसूं की बारिश थी ,कहीं यादों का झोंका था, जिसे देखा था बस्ती में वही दिन रात रोता था . नगर था प्यार का…
ढूंढा जिसे गली में, शहरा में शाम में , दीदार उसका हो गया बस एक ज़ाम में. …atr
तमाम गुलाबो की खुश्बू है तेरे इकरार में साकी , कही ऐसा न हो मैं खुश्बुओं की चाह ही रख लू.. …atr
तेरी आँखों से पीनी है, मुझे अब रात भर साकी , ज़रा अब फिर पिला दे न , तमन्ना अब भी है बाक़ी. …atr
ख़ुदा ने क्या दिया तुमको, ख़ुदा ने क्या दिया हमको, की तू है हुस्न की मल्लिका , औ मुझको आशिकी दे दी .. …
भुला सकोगे न तुम कभी भी , की तुमको इतना मैं प्यार दूंगा . जो होगा चुलमन वो होंगी आँखे , उसी से तुमको निहार…
खबर मेरी यहाँ पर पूछते क्या हो एहसास , जरा एक बार मेरे मकान से गुजरो. तुम्हे मालूम होगा इश्क़ में क्या क्या लुटाते हैं,…
किया है प्यार छुप छुप कर खुदाया , दिल्लगी न की , जमाना ढोंग कहता है हमारे प्यार को साकी . …atr
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
वो राह वो बस्ती, वो घर, वो गलियां , वो राह के कांटे , वो फूल और कलियाँ , मुझे फिर याद आये.. वो दो…
चुपके चुपके ही चाहा है, इज़हार किया न जीवन भर , एक डर में एक संशय में, मैं हाल ए दिल कैसे कह पाऊँ. जीवन…
ये गीत मेरे न पत्थर है, न कांटे ,न अंगारे है, ये गीत ह्रदय की पीड़ा हैं,वो सब है जो हम हारे हैं. हर लफ्ज़…
फूंक देते प्राण मनुज में वो गुरुदेव कहाते है, जीवात्मा की परमात्मा से वो ही मिलन कराते है. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताकर करते है उद्धार गुरु,…
बड़ी सिद्दत से चाहा था ख़ुदा के नूर को मैंने , मेरी नीयत भी पाकीज़ा थी मगर इकरार ही न हुआ.. …atr
जिस अकल्पित प्रेम का संवाह मैं करता रहा, आज जाना स्वप्न की बस्ती कहीं और है.. ….atr
गीत लिखूँ कैसे अब मैं, गीत कहूँ कैसे अब मैं. सब शब्द तुम्हारे प्रेमी है,हर कविता तेरी दासी है, हर वाक्य तुम्हारा वर्णन है, हर…
चलो अब देर से तुम सो सकोगे , हमारी नींद तुमको लग गयी है.. …atr
बढ़ी है तीरगी रूश्वाईयों में , ज़रा अपनी नज़र तुम बंद रखना.. …atr
करोगे क़त्ल क्या हमको दरिंदो , हमारे हर्फ़ रूहानी, हमारी बात रूहानी.. …atr
कभी मेरी निगाहों को जहाँ दिखता था तुझमे मीर , मगर अब दौर ऐसा है , खुदी पुरज़ोर हावी है .. …atr
कहीं है दफ़्न तुम्हारा ग़म हमारे दिल के कोने में, हमे भी मीर लाशो को बहुत रखना नहीं आता.. …atr
अभी मुझमे जरा तू है ,जरा मैं हूँ तेरे दिल में .. मगर अब अपने अपने में जरा सा तू , जरा मैं हूँ…
चला जाता है कोई दूर ,दिल के पास रहता है , वही यादें ,वही खुशबू ,वही एहसास रहता है . फ़कत इतना फरक है प्रेम…
खत को मेरे संभाल के रखा जो होता मीर, हर हर्फ़ मेरे प्यार की दास्ताँ कहते . करे अब किस जगह रोशन गुलिश्ता ए जिगर…
किया है खून रिश्तो का , तुम्हे कातिल कहूँ या भ्रम , जला कर प्रेम का दीपक , अँधेरा कर दिया कायम . …atr
न देखोगे मुझे अब तुम , न अब संवाद होगा .. जो कल था ,आज तक जो था , न इसके बाद होगा .. …atr
नैनो के सूखे मेघो से मैं आज अगर बरसात करूँ , हल करुँ ज़मीन ए दिल में मैं नीर कहाँ से मगर भरूँ? है सूख…
लहरा रहा है सामने यादों का समंदर , जो डूबना भी चाहूँ तो किस किनारे से.. मेरे इश्क़ की दास्ताँ बस इतनी है, तलाश हमसफ़र…
मुद्दत से तेरी आँखों में नमी नहीं देखी, लगता है तुमने मुझमे कोई कमी नहीं देखी .. यादों की लहरों पर किया है प्यार का…
आँखों से झरते आंसू ने थमकर पूछा, आखिर सजा क्यों मिली मुझे ख़ुदकुशी की? दिल रो पड़ा पुराना जखम फिर हरा हुआ, कहा, गुनाह उसी…
ज़रा कुछ देर रहमत हो सके तो अच्छा हो , ज़रा मन शांत होकर सो सके तो अच्छा हो. . ख़तो के ज़ाल में उलझे…
बर्बादी किसे दिखेगी हमारी जहाँ में मीर , लुटने के बाद ग़म का खज़ाना जो पा लिया .. मुझको तेरी कमी तो सताती ही है…
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