मुक्तक

गुमशुम,मदहोश,खामोश कहाँ रहते हो

वो क्या कहते है,हाँ मोहब्बत में रहते हो

वो सुर्ख होंठ,क़ातिल नज़र बला की अदा

एक दीद में क़त्ल का सामान रखते हो

“विपुल कुमार मिश्र”

#VIP~

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

नज़र ..

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…

Responses

+

New Report

Close