Categories: शेर-ओ-शायरी

Abhishek Tripathi
Hi everyone. This is Abhishek from Varanasi.
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
आखिर क्या समझूं ???
तुम्हारी बेरुखी को प्यार समझूं या खता समझूं तू ही बता ना आखिर क्या समझूं ? सामने आकर भी मुह फेर लेते हो बेबसी समझूं…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
मैं अकेला….
मैं अकेला था अकेला हूँ अकेला रह गया, ज़िन्दगी की धूप छाँव सब खुशी से सह गया। टूटा हूँ पत्ते सा क्यूँकि मेरी सूखी डाली…
रुकेगी नहीं अभी कलम मेरी
इसमें इश्क की स्याही अभी बाकी है |
haha .. absltly .. thanks bhai 🙂
Mjaa aa gya padhke… Behatrin
dhanyavad dost..
abhi is poem par,
hamara comment bhi baaki he 🙂
bahut ache anjali
ha to roka kisne aapko 😛
Good
बहुत खूब