मुक्तक
विविध उलझनों में जीवन फंसा हुआ है
किंचित ही दिखने में सुलझे हुए है लोग |
स्वार्थ की पराकाष्ठा पर सांसे है चल रही
अपने बुने जंजाल में उलझे हुए है लोग ||
उपाध्याय…
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Avantika Singh - July 8, 2016, 10:26 pm
nice line
Manoj - July 23, 2016, 4:52 pm
Thanks ji
राम नरेशपुरवाला - October 27, 2019, 1:01 am
बढ़िया