Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: kavita
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ख़ुशी जिसे कहते हैं
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ अकेला तो न था पहले कभी इतना साथ…
“मैं ढूंढता रहा”
“मैं ढूंढता रहा” :::::::::::::::::: मैं ढूंढता रहा, उस शून्य को, जो मिलकर असंख्य गणना बनते । मैं ढूंढता रहा , उस गाथा को , जिस…
कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
तलाश
न दिल तलाश कर न धड़कन तलाश कर, जो रूह में घर कर जाए वो दरिया तलाश कर, झुकता नहीं है आज कोई सर किसी…
एक उम्रभर
जिसे अपना समझकर चाहतें रहे एक उम्र भर जिसे अपना कहकर इतराते रहे एक उम्र भर जिससे आईने में देखकर शर्माते रहे एक उम्र भर…
वाह बहुत सुंदर