मैं लिखता हूँ मोहब्त

मैं लिखता हूँ मोहब्त को …

मोहब्त की कलम से….

मैं भरता हूँ अपने ज़ख्मो को ..

उसकी यादों की मरहम से…

कुछ ही महफूज़ बची हैं , सांसे मेरी ….

मैं ज़ी रहा हूँ आज …

तो बस उसकी दुआओं के रहम से…

 

पंकजोम प्रेम

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