Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

पंकजोम " प्रेम "
तराश लेता हूँ सामने वाले की फितरत ......
बस एक ही नज़र में .....
जब कलम लिख देती है , हाल - ए - दिल ....
तो कोई फ़र्क नहीं रहता .....
जिंदगी और इस सुख़न - वर में....
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प्रेम
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ek achi kavita
kya baat he….bahut khoob pankaj
Dhnyawad sumit bhai
bahut achi kavita!
nice poetry…
Sukkriya panna ji
well said Pankaj!
Sukkriya ji
Good