मैं समझ नहीं पाता

मैं समझ नहीं पाता
अपने ही देश में देशद्रोहिता के रहस्य
मैं समझ नहीं पाता
अपने ही देश में असहिष्णुता के मायने
मैं समझ नहीं पाता
अपने ही देश में पलता धर्मो का खेल
मैं समझ नहीं पाता
चार स्तम्भो का घिनौना खेल
मैं समझ नहीं पाता
जनता ने चुना या जनता को चुना
मैं समझ नहीं पाता
पैतरे गोबुल्स के वंशजो के
मैं समझ नहीं पाता
अपने ही देश के आस्तीन के सांपों को
मैं समझ नहीं पाता
अपने देश की शिक्षा प्रणाली को
मैं समझ नहीं पाता
महत्व आज़ादी का
मैं समझ नहीं पाता
लोकतंत्र में छिपे अन्य तंत्र को
मैं समझ पाता
आखिर हो क्या रहा मेरे देश में
मैं समझ नहीं पाता
वर्गों में हो रहे संघर्ष को
मैं समझ नहीं पाता
हम कर क्या रहे है
मैं समझ नहीं पाता
हमारी सोच में दबा क्या है
मैं समझ नहीं पाता
अपने मूल्यों का अवमूल्यन
मैं समझ नहीं पाता
हम किस खोज में है
मैं समझ नहीं पाता
और भी बहुत कुछ
क्या ये असमंजसता
सिर्फ मेरी है ?
मैं समझ नहीं पाता
राजेश’अरमान’

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