म्हा- शक्ति
मौलिक–विचार है म्हा–शक्ति, जो उसने ख़ुद तेरे चित् जगाई है,
रहते ख़ास कारण उसके काम मैँ,क्यों उसने तुममे यह भरपाई है ?
निर–विचार जो जीवन जी जाएगा,कैसे मूड़–मन को बदल तूं पाएगा,
गर मौलिक–विचार ही ना कर पाएगा,फिर क्या यहां से तूं ले जाएगा ?
रह मौलिक–विचार मैँ मगन तूं ,यह अखंड संपदा को बड़ा तूं पाएगा ,
बड़ा कर ख़ुद की विचार–शक्ति ,उसकी राह् पर आगे तूं बड़ जाएगा I
उधार विचारों की जड़ताओ को छोड़,ख़ुद के विचारों को दिशा दे पाएगा,
दूसरों के मूड़ तर्क–विचार त्याग , युई तूं ख़ुद का चिंतन कर पाएगा I
मौलिक–चिंतन को अंतर्मन जगा, विवेक की दिव्य–ज्योत ख़ुद मैँ पाएगा,
ज्योत से निक्ली एक किरण, सदियों के अन्धेरे को दफन कर जाएगी I
…… युई
बेहतरीन..
True…ज्योत से निक्ली एक किरण, सदियों के अन्धेरे को दफन कर जाएगी I
wow