रहम करना ज़रा मौला

रहम करना ज़रा मौला, नमाजी हूँ तेरा मौला।
तू ही तो मीत है मेरा, तू ही तो गीत है मेरा॥
किसी को गैर ना समझूं, किसी से बैर ना रख्खूं।।
मेरा दिल बस यही चाहे, सितम कोई नहीं ढ़ाये।।
नेकी ही रीत है तेरा, तू ही तो मीत है मेरा।
करम ये हो मेरा मौला, रहम करना ज़रा मौला।।
भला क्या है बुरा क्या है, तेरा क्या है मेरा क्या है।
लड़ाई छोड़ देना है, दिलों को जोड़ लेना है।
तू ही तो जीत है मेरा, तू ही तो मीत है मेरा।
वचन ये है मेरा मौला, रहम करना ज़रा मौला।।
रहे अल्लाह हू दिल में, यही है आरजू दिल में।
खुशी से झोलियां भरना, खुदा हम पर दया करना।
तू ही तो प्रीत है मेरा, तू ही तो मीत है मेरा।
सजन है तू मेरा मौला, रहम करना ज़रा मौला।
ज़मीं औ आसमाँ है तू, यहाँ है औ वहाँ है तू।
पुरब है पश्चिम है तू, उत्तर है दक्षिण है तू।
तू ही तो दीन है मेरा, तू ही तो मीत है मेरा।
वतन ही है मेरा मौला। रहम करना ज़रा मौला॥
मिली है जिंदगी जबसे, कि मैंने बंदगी तबसे।
तेरा ही आसरा मुझको, मिटाना तू हरेक गम को।
तू ही तो ईद है मेरा, तू ही तो मीत है मेरा।
चमन है तू मेरा मौला। रहम करना ज़रा मौला।
ओमप्रकाश चंदेल “अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़
7693919758
behtareen om ji
Kya khoob kha
बहुत सुंदर रचना
Good