राज-ए-दिल

खोल दो राज दिल का ,राज न रह जाने दो,

लबों पे आई बात को, बात न रह जाने दो/

——-

माना नजरो से नजरें मिली है तो क्यॉ..,

नजरों से उतीर हमें दिल मे रह जीने दो /

——-

है तमन्ना आशिकी का ,दिल-ए-जमीं पे,

इस दिल की उठी तुफ़ॉ को आज बह जाने दो/

——

कह दो खुल कर सरेआम मोहब्बत है योगी हमसे,

गर जले भी जमाना तो दल कर रीख हो जीने दो/

                योगेन्द्र निषाद

                            घरघोड़ा,रायगढ. (छ.ग.)                  

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कविता

धधकते लावा है मेरे सीने मे, जिसमे सेक रही हो रोटी कई महीने से। क्यॉ अब तक पकी नही ,तेरी तंदुरी, क्यॉ बाकी है अब…

Responses

  1. I am Suvo Sarkar of Emirates NBD bank. I wish to share a business proposal with you, it is in connection with your last name. Please contact me on my email at (sarkarsuvo611@gmail.com) so that i will get back to you soonest.

+

New Report

Close