जवां धडकनो को धड़कने दो यारों
//ग़ज़ल// जवां धडकनो को धड़कने दो यारों। जरा आशिकी औऱ बढ़ने दो यारों।१ महकता रहे गुल चमन प्यार का ही, फि़जा रुत सुहानी बहकने दो…
//ग़ज़ल// जवां धडकनो को धड़कने दो यारों। जरा आशिकी औऱ बढ़ने दो यारों।१ महकता रहे गुल चमन प्यार का ही, फि़जा रुत सुहानी बहकने दो…
आदमी में घमंड इस कदर हैं चढ़ा।, छोड़ इंसानियत,खुन……. बहाता रहा। हौसला रंजिशों का ….बढ़ा हर तरफ । माँ बहन से न रिस्ता …..न नाता…
“मैं ढूंढता रहा” :::::::::::::::::: मैं ढूंढता रहा, उस शून्य को, जो मिलकर असंख्य गणना बनते । मैं ढूंढता रहा , उस गाथा को , जिस…
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
वज़्न – 122 122 122 122 अर्कान – फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन बह्र – बह्रे मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम काफ़िया – आ (स्वर) रदीफ- है। मेरें…
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
नयन अश्कों से भिगोता रहा हूं मैं जिन्दगी भर । गजल उनको ही सुनाता रहा हूं मैं जिन्दगी भर । दरख्ते उम्मीद अब है कहां…
कदम दर कदम मै बढाने चला हूँ। सफर जिन्दगी का सजाने चला हूंँ। खुशी-ए-जमाना तुझे सौप कर मैं, सफल जिन्दगी को बनाने चला हूँ। मुहब्बत…
प्यार का इज़हार होने दीजिए। गुल चमन गुलजार होने दीजिए। खास हो एैसा ही, कोई पल दे दो, वक्त को हम – राज होने दीजिए।…
प्यार का इज़हार होने दीजिए। गुल चमन गुलजार होने दीजिए। खास हो एैसा ही, कोई पल दे दो, वक्त को हम – राज होने दीजिए।…
चलना संभल कर यहां जर्रे जर्रे में है धोखा। अब सांसे भी सांसों को देता रहा है धोखा। यूं जिंदगी को न कर इस कदर…
बह्र – २१२२ / २१२२ / २१२ :::::::::::::::::::;::::::::::::::::::::::::: जो हुआ वो सब भुलाना चाहिए । रूठे मन को अब मनाना चाहिए।१ बैठ यारों अब यहा…
=============================== वो जो तेरी यादों का समंदर कभी सूखता ही नहीं । लाख भुलाना भी चाहा मगर दिल भूलता ही नहीं। हैं बरसता हुआ गम…
न सवाल हुआ , न जवाब ही हमारी तन्हाई में । आंखों ही आंखों से बात हुई हमारी तन्हाई में । खामोशी को इकरार समझने…
आप सभी को होली की रंगों भरी हार्दिक शुभकामनाएँ :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: ऐसा रंग तो डालो पिया। सारा तन-मन रंग डालो पिया । सात रंगों की बरखा…
“फागुन आया” फागुन आया चल रंग श्रृंगार कर ले। अपने तन मन को रंग प्रेम व्यापार कर ले रंग ले आज तु यह जग सारा,…
इक तस्वीर है इस दिल के पास। फिर क्यु दिल है उदास – उदास।। माना की तु दुर है सदियों से मगर, तेरी यादे है…
चलते हुए कदमो के निशां को बदलते हुए देखा हमने। हर रिस्ते नातों को आज बदलते हुए देखा हमने। जो कभी टूट कर चाहा करती…
कविता ***************************** ये जीवन सरिता ,तुम युं ही बहते रहना। कल कल कर मधुर नांद सै बहते रहना। गर.. लाख मुस्किलें हो राहो मे पर…
कुन्दन सा बदन को एैसा श्रृंगार कर । जो भाये पिया मन एैसा श्रृंगार कर । सरगम पे सुर नया कोई झंकार कर, जो गुंज…
कुन्दन सा बदन को एैसा श्रृंगार कर । जो भाये पिया मन एैसा श्रृंगार कर । सरगम पे सुर नया कोई झंकार कर, जो गुंज…
भुज पे आई कहा से,एै रूपसी, नेह निश्छल निर्मल लिये प्यारी। स्वरों की हो,शायद तुम जादुगरी। रीझाती उर-उर तुम क्यों हमारी। तितली की सी लगती,होतुम…
तेरी यादों का समन्दर कभी सुखता नही। आँखों में खुशी है मगर दर्द मिटता नही। चौमासें सावन सा बरसता गम है सीने में, जुदा-ए-सनम तुम…
एक योषिता, नाम योगिता मनमोहक – मनहरण है उसकी रूप सुन्दरता। सागर की सी शूतलता, मेघों की सी चंचलता, बागों में इठलाती खेलती तितली सी,…
मुक्तक दस्तक क्युँ करते हो बार बार, बिहड़ मन उपवन के सुने द्वार। न छेड़ो प्रेमागम की तार को, चुभत है दिल पे इनकी झनकार।
ऐ चाँदनी रीतें तुम__ युँ ही एैसे ही रहना। टिमटिमातें -जगमगीतें, झिलमिल सपना तुम लाना। हलकी – हलकी, शीतल – शीतल, पुरवाईयों का तुम संग…
हुँ मै तेरी हाथों की कलम गढ़ ले तु गीत नया जोगन। हर शब्द हो तीर लक्ष्य भेदी, मुक्त हो प्रेम का अटुट बंधन। आँखो…
नव वर्ष आया,नील गगन मे नव सुरभि बिखराया। शीतल शीतल ये हवाए,कह रही है खुशियॉ आया।
धधकते लावा है मेरे सीने मे, जिसमे सेक रही हो रोटी कई महीने से। क्यॉ अब तक पकी नही ,तेरी तंदुरी, क्यॉ बाकी है अब…
गुजं उठी चहू दिश नव वर्ष की नव शहनाई। करवट बदलती आसमां पे छाई, नव किरण लै पुरवाई आई। उमंगों भरा उत्सव गीत आज, चहकती…
ग़ज़ल कुछ एेसा नया साल हो। अपने आप मे बेमिशाल हो। महगी थी यह वर्ष बीत गई, कुछ सस्ता नया साल हो। कुछ तो यादें…
खोल दो राज दिल का ,राज न रह जाने दो, लबों पे आई बात को, बात न रह जाने दो/ ——- माना नजरो से नजरें…
जिन्दगी आज क्यु इस कदर वे-परवां हो गई, थी जो सपने साथ वो भी आज खफा हो गई/ बहारो ने भी रुख बदल लिये अब हमसे, गीत लिखना भी चाहुँ तो कैसे शब्द जुदा हो गई/ अरमॉ मचलते रहे दिल ही दिल मे योगी, सारी उम्र की चाहत आज रफा दफा हो गई/ खुदा से पुछू की यै खुदा ये जिन्दगी क्यु दी, जो साथ थी हमारी वो भी बेवफा हो गई / योगेन्द्र कुमार निषाद घरघोड़ा जिला-रायगढ़ (छ.ग.) ९४०६२२०६८३
मोहब्बत है गमो की हसिन दांस्ता | इसकी न कोई मंजिल ,न कोई रास्ता || बस सफर-दर-सफर चलते है प्यार में, मगर हाथ न कुछ…
भाग दौड़ की, इस दुनियां में, शोर ही शोर है। न बादल है, न बरखा है, केवल नाच रहा, कलयुगी मोर है। माना यह काल…
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