रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में
रात तूं किधर ठहर जाती
पलक बिछाए दिवस तेरे लिए
तूं इतनी देर से क्यूं आती।।
थक गये सब जर-चेतन
थका हारा है सबका मन
आने की तेरी आहट से
पुलकित हुआ है कण-कण
बता तूं कहां चली जाती
तूं इतनी देर से क्यूं आती।।
जाना है तो जा लेकिन
सितारों को ना ले जाना
जाने से पहले
ठिकाना तो बता जाना
बता तूं भाव क्यूं खाती
तूं इतनी देर से क्यूं आती।।
उदासी भरा ये आलम, नज़र क्यूं नहीं आता
पसरा हर गली मातम, कैसे रास तुझे आता
काश इससे तूं निजात दिला पाती
तूं इतनी देर से क्यूं आती।।
Nice
Very nice
अक्सर ये ख्यालात उठते हैं जेहन में
रात तू किधर ठहर जाती है,
पलक बिछाए रहता है दिवस तेरे लिए
तू इतनी देर से क्यों आती है।
Nice
अतिसुंदर रचना
बहुत ही खूबसूरत Alfaaz
बहुत सुंदर पंक्तियां
श्लाघनीय रचना