लघुकथा

( लघुकथा )

एक गरीब महिला अपने परिवार के साथ एक टुटी झोपड़ी में रहती थी उसके परिवार में एक बेटी और एक बेटा था | उसकी माँ पास के गॉव में जाकर झाडू पोछा करके कुछ खाने कि चीजे लाती थी उसमें भी खाना सिर्फ दो लोगो को होता कभी माँ भूखी सो जाती थी तो कभी बेटा यह बोलकर सो जाता था कि माँ आज मुझे बिल्कुल भूख नहीं हैं | जैसे तैसे गरीब महिला का घर चल रहा था एक दिन रात को बहुत ही भयंकर ऑधी तूफान आया उसमें गरीब महिला का घर टूट गया और घर में पानी भर गया | गरीब महिला का परिवार एक कोने में डरा सहमा बैठा था | अचानक कि कि का आवाज आने लगा जब गरीब महिला पास में जाकर देखा तो वह एक कौआ का बच्चा था जो ऑंधी तूफान कि चपेट में बुरी तरह से ठण्ड के कारण कॉप रहा था गरीब महिला ने उसे हाथ से उठाकर पुचकारते हुए कपडे से ढ़क दिया कौआ का बच्चा उसके बाद भी कि कि करता रहा गरीब महिला ने उसे चावल के दाने दी खाने को कौआ बडे़ प्यार से सब दाने चूग गया | कौआ अब उस घर का पारिवारिक सदस्य बन गया महिला के जाने के बाद बच्चो का ख्याल करने लगा ऐसे ही दिन बितता गया कौआ को गरीब महिला कि लाचारी धीरे धीरे समझ में आ गया और अब वह भी वैसे ही करने लगा जैसे परिवार के अन्य सदस्य करते थे एक दिन खाता एक दिन भूख नहीं हैं बोलकर सो सो जाता | कौआ यह निर्णय किया कि आज से मैं अपने लिए दाना चूग कर खुद ही लाऊगा | कौआ एक लम्बी उड़ान भरा वह जाकर एक जंगल में उतरा कुदकते फुदकते आगे बढ़ ही रहा था कि उसको ढे़र सारा अनाज का भण्डार दिखा पड़ा और ढ़ेर सारी सोने चॉदी हिरे जावरात का भण्डार दिखा | कौआ भर पेट दाना चूगने के बाद एक हिरे का हार अपने में दबा कर घर कि तरफ उड़ान भरा हिरे का हार ले जाकर गरीब महिला के सामने रख दिया | गरीब महिला खुशी के मारे उछल पड़ी और हिरे का हार ले जाकर बाजार में बेंच कर ढ़ेर सारी सुख सुविधा की सामान ले आयी | सब मिलकर खुशी से रहने लगे एक परिवार कि तरह अचानक ऑंधी तूफान तेजी से आ गया कौआ सबको घर में ले जाने के लिए कॉव कॉव करता रहा | सब लोग घर में चले गये लेकिन कौआ तूफान कि चपेट में आ कर बाहर रह गया इतनी तेज तूफान थी कि कौआ का प्राण ले गया जब महिला बाहर निकली तो देखी कौआ जमीन पर पड़ा अपना प्राण त्याग दिया था महिला उसे सिने से लगा कर रोने लगी यह कहकर कि एक तूफान मेरे परिवार को खुशहाल बना दिया और एक तूफान मेरे परिवार के सदस्य को ले गया |

महेश गुप्ता जौनपुरी

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