वह दौर था .
मोहब्बत का वह दौर था ,
दिखता नहीं कुछ और था ..
बस हमारे प्यार का सारे जहां में शोर था,
उसने चुराया दिल मेरा ,मन भी मेरा चित चोर था ..
आश्ना हम भी थे, आशिकी उनको भी थी ,
अब जहाँ कुछ और है,पहले यहाँ कुछ और था ..
नाम होता था जुबान पर दूसरा वह दौर था,
एक ही आवाज थी ,हर शै में जो भर आई थी ,
आज जो घुट सा रहा है ,कल वही बेजोड़ था ..
.atr
मोहब्बत का वह दौर था ,
दिखता नहीं कुछ और था ….shaandaar!
dhanyavad
Good
बहुत ही सुन्दर
वाह वाह