वो समझते रहे ताउम्र
वो समझते रहे ताउम्र, बस एक किस्सा मुझे
हम वहम् में रहे वो समझते है ,अपना हिस्सा मुझे
फरेब खाने की तो तालीम अपनी बड़ी पुरानी है
हम फूलों की तरह मिलते, वो दिखाते काटों का गुस्सा मुझे
राजेश’अरमान’
वो समझते रहे ताउम्र, बस एक किस्सा मुझे
हम वहम् में रहे वो समझते है ,अपना हिस्सा मुझे
फरेब खाने की तो तालीम अपनी बड़ी पुरानी है
हम फूलों की तरह मिलते, वो दिखाते काटों का गुस्सा मुझे
राजेश’अरमान’
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