
वो हिन्द का सपूत है..
लहू लुहान जिस्म रक्त आँख में चड़ा हुआ..
गिरा मगर झुका नहीं..पकड़ ध्वजा खड़ा हुआ..
वो सिंह सा दहाड़ता.. वो पर्वतें उखाड़ता..
जो बढ़ रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..
वो दुश्मनों पे टूटता है देख काल की तरह..
ज्यों धरा पे फूटता घटा विशाल की तरह..
स्वन्त्रता के यज्ञ में वो आहुति चढ़ा हुआ..
जो जल रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..
वो सोचता है कीमतों में चाहे उसकी जान हो..
मुकुटमणि स्वतंत्रता माँ भारती की शान को..
वो विषभरा घड़ा उठा सामान नीलकंठ के..
जो पी रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..
-सोनित
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Akanksha Malhotra - February 5, 2017, 4:58 pm
nice
Sonit Bopche - February 5, 2017, 6:15 pm
thank you akanksha ji.
देव कुमार - February 6, 2017, 5:35 pm
So Nice
Sonit Bopche - February 6, 2017, 6:34 pm
thank you dev
देव कुमार - February 7, 2017, 11:00 am
Welcome Sonit
Himanshu Choudhary - February 7, 2017, 12:06 am
Soooooo effetive really
Sonit Bopche - February 8, 2017, 9:25 am
thank you Himanshu..
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 11, 2019, 11:05 pm
वाह बहुत सुंदर
Abhishek kumar - November 25, 2019, 7:43 pm
Jai ho