शायद था मैं कोई अंग तेरा
था मैं चला कहां से, इसकी ना कोई याद मुझे
हुआ मैं ग़लत कहां पे, इसका ना आभास मुझे
चेतना है धुंधली सी, शायद था मैं कोई अंग तेरा
क्या वोही है घर मेरा, जिस्मे था कभी संग तेरा
…… युई
था मैं चला कहां से, इसकी ना कोई याद मुझे
हुआ मैं ग़लत कहां पे, इसका ना आभास मुझे
चेतना है धुंधली सी, शायद था मैं कोई अंग तेरा
क्या वोही है घर मेरा, जिस्मे था कभी संग तेरा
…… युई
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उसके संग चला था जिंदगी की राहों में
बिना उसके जिंदगी कैसे बसर कर लूं
फासले है क्यों उसके मेरे दरम्या
चलकर कुछ कदम कम ये फासले कर लूं
प्यार करना उनसे मेरी भूल थी अगर
तो ये भूल एक बार फिर से कर लूं
परवाने को जलते देखा तो ख्याल आया
आज की शाम शमा से बाते कर लूं
🙏🙏