शिकस्त-ऐ-पछतावा

सुना है वो फिर से हमें चाहने लगे है
आँखों से आंसू बहाने लगे है

झेल रहे है वो भी शिकस्त-ऐ-पछतावा
सुबह-ओ-शाम हमको बुलाने लगे है……………………………..!!

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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